साक्षी, सांख्य, ताओ तथा ज्ञान, भक्ति, कर्म योग क्या हैं?

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साक्षी होना इस फ़ुल के अपनी पूरी क्षमता में खिलने का प्रयत्न करने समान है, जबकि इसे सिर्फ़ एक ही दिन जीना है।

 

साक्षी और ताओ को समझने के लिए पहले यह जानना ज़रूरी है कि आख़िर यह है क्या? पहले हम समझें कि ताओ क्या है? 

ताओ को  pathless path कहा तो यह ऐसा है जैसे माला के मोतियों के बीच से निकलने वाले धागे का रास्ता. यह सब मोतियों को एक नियम के अनुसार बांधे रखता है। जो धागा पिरोया जाएगा उसके लिए रास्ता लेकिन यह रास्ता मोतियों को कहीं लेकर नहीं जा रहा है बल्कि उनको एक नियम से अपनी जगह बने रहने में सहायक है । हमारे शास्त्रों में भी लिखा है कि एक मोती ने यह जान लिया की वह सूत्र (धागा) क्या है तो वही फिर सबमें है यह भी जान लिया जाएगा । सबको जानने की ज़रूरत नहीं है।

 

इसे जानने के लिए तीन मार्ग पहले से मौजूद हैं और उनकी साधना के तीर्थ, प्रक्रिया इत्यादि निर्धारित हैं। तीनों में ध्यान को मार्ग बनाया है क्योंकि क्रमिक विकास होता है इन साधनाओं में।

 

1. ज्ञानयोगी वह जो विचार प्रमुख है और ध्यान वह अपने विचार पर आरोपित करके आत्मज्ञान प्राप्त करता है. उसको ओशो ने कहा: विचार को रोको मत; विचार आए तो उसे देखो। उसमें खोओ मत; थोड़े दूर खड़े रहो, थोड़े फासले पर। शांत भाव से देखते हुए विचार को ही धीरे-धीरे तुम साक्षी-भाव या ताओ या आत्मज्ञान को उपलब्ध हो जाओगे।

 

2. भक्तियोग वह जिसमें भाव की प्रधानता है आंसू बहते हैं, हृदय गदगद हो आता है, डुबकी लग जाती है–प्रेम में, स्नेह में, श्रद्धा में, भक्ति में। ओशो कहते हैं, इसी को वाहन बना लो; इसी में ध्यान के मार्ग पर छोड़ दो। आंसू तो बहें–ध्यानपूर्वक बहें। रोमांच तो हो, लेकिन ध्यानपूर्वक हो।

 

3. कर्मयोगियों के लिए ठीक है कि कर्म की ही सवारी कर लो, इसी का घोड़ा बना लो! इसी को ध्यान के रास्ते पर ले जाओ। तुम ध्यानपूर्वक कर्म करने लगो। जो भी करो, मूर्च्छा में मत करो, होशपूर्वक करो। करते समय जागे रहो।

 

चौथा मार्ग है ताओ या अष्टावक्र का साक्षी या निर्गुण सम्प्रदाय के कबीर इत्यादि का आत्मज्ञान का तरीक़ा. सीधे ही बोध मात्र से quantum jump, एक पल पहले साधारण व्यक्ति और एक पल में आत्मज्ञानी.

 

क्योंकि तुम वह हो ही : तत् त्वम असि – उपनिषद में कहा ही है। सिर्फ़ तुम्हारा भ्रम है की तुम शरीर हो ।

 

ओशो ने नव संन्यास की अवधारणा यही है की आज के व्यक्ति के लिए यह चौथा मार्ग यानी साक्षी की साधना या सांख्य या ताओ ही अनूकूल है क्योंकि आज का तनावग्रस्त जीवन और भरपूर मनोरंजन जीकर उसे इनकी व्यर्थता का बोध तो हो ही चुका है। इस चौथे प्रकार की साधना में यह अनुभव एक jumping board की तरह उपयोगी है लेकिन इसके लिए कोई तीर्थ, प्रक्रिया, निर्धारित स्थान नहीं था उन्होंने पुणे में स्थापित कर पूरा कर दिया।

 

जैसा लाओत्जु ने एक एक सूत्र को गढ़ा है वह लाजवाब है, सिर्फ़ उनको साध लिया जाए तो साक्षी अपने आप साध लिया आपने और quantum jump लग जाए क्योंकि इनके बग़ैर वही jumping board पर पूरा जीवन छोटी-छोटी छलाँगे लगाने में ही लग जाएगा, ओशो ने उसके आधार पर स्थान, कम्यूनिटी और तीर्थ का निर्माण कर जैसे आज के व्यक्ति के लिए पूरी व्यवस्था की है।

 

लेकिन यह व्यवस्था उनके लिए है जो यह समझते हैं कि पहले सीखकर फिर दैनिक जीवन में प्रयोग किया जाये। और जो सक्षम हैं खर्च उठाने में। या फिर जो आत्मज्ञान प्राप्त कर लिए हैं वे वहाँ जाकर नए लोगों के लिए माहौल प्रदान करके उनके सहायक हो सकते हैं।

 

जो घर पर रहकर अपने कामकाज और परिवार के साथ रहकर सही समय आने तक आत्मज्ञान मार्ग पर चलना चाहते हैं उनके लिए किताबें, ऑडीओ एवं विडीओ उपलब्ध हैं। ओशो मेडिटेशन डे यह भी एक अच्छा माध्यम हो सकता है ओशो के कुछ ध्यान को घर बैठे सीखने का। सिर्फ़ € 20 खर्च करके आप ओशो के साथ रहे संन्यासिनी और सन्नयासीयों के साथ पूरे विश्व के लोगों के साथ ऑनलाइन ध्यान करके सीख सकते हैं।

 

ख़ास बात है पढ़कर, समझकर दैनिक जीवन में जो सीखा है उसे प्रयोग में लाना और निरंतर सीखते रहना। मैं इस रास्ते पर चलकर पहुँचा हूँ, तो आप भी पहुँच सकते हो, कोई भी पहुँच सकता है। मंज़िल एक है, हर व्यक्ति पक्षी की तरह नए रास्ते से पहुँचेगा और पीछे कोई मार्ग नहीं छोड़ेगा यह तय है

 

ओशो द्वारा सुझाया सहज ध्यान यानी होंश पूर्वक जीना यानी रोज़ के काम में होंश का प्रयोग मेरे जीवन को बदलकर रख गया। अपने आप सहज ही मन सपने देखना कम कर देता है, फिर जब भी सपना शुरू करता है तो विवेकपूर्वक उसका आना दिखाई देने लगता है, और दिखाई दे गया कि फिर बुना नया सपना मन ने-तो फिर रोकना कोई कठिन काम नहीं है। मैंने इसे ओशो की एक किताब से सीखा और जीवन में सुबह ब्रश करते समय प्रयोग करके साधा।इसे आप मेरे अंग्रेज़ी के पोस्ट ‘Awareness as meditation’ पर पढ़ सकते हैं। 

नमस्कार ….. मैं अपनी साक्षी की साधना के व्यक्तिगत अनुभवों से अपनी टिप्पणियाँ लिखता हूँ। इस पोस्ट में दुनिया भरके रहस्यवादियों की शिक्षाएँ शामिल हो सकती हैं जिन्हें मैं अपने अनुभव से तौलकर आज भी मानने लायक समझता हूँ। अधिकजानकारी के लिए और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जुड़ने के लिए वेबसाइट https://linktr.ee/Joshuto पर एक नज़र डालें, या मेरे यूट्यूब चैनल या पॉडकास्ट आदि सुनें।

कॉपीराइट © ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन, अधिकतर प्रवचन की एक एमपी 3 ऑडियो फ़ाइल को osho डॉट कॉम से डाउनलोड किया जा सकता है या आप उपलब्ध पुस्तक को OSHO लाइब्रेरी में ऑनलाइन पढ़ सकते हैं।यू ट्यूब चैनल ‘ओशो इंटरनेशनल’ पर ऑडियो और वीडियो सभी भाषाओं में उपलब्ध है। OSHO की कई पुस्तकें Amazon पर भी उपलब्ध हैं।

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