प्रारब्ध से पुनर्जन्म नहीं होता

आम का पौधा प्रारब्ध को उपलब्ध हुआ।
प्रारब्ध से पुनर्जन्म नहीं होता बल्कि प्रारब्ध जीवन का वह हिस्सा है जब मनुष्य अपने उच्चतम शिखर को प्राप्त करके शरीर से अनंत काल के लिए मुक्त होने के पहले उसके सारे भार को उतारता है।
तोतापरी आम का पौधा । आत्मज्ञानी व्यक्ति की तरह botany के सारे नियमों को एक तरफ़ रखकर किसी फूल की तरह खिलता है और बड़ा होता है।

जब बुद्ध से पूछा गया कि आप यदि शरीर में नहीं हैं तो फिर यह शरीर अभी तक ज़िंदा क्यों है?

बुद्ध ने जवाब दिया : प्रारब्ध के कारण।

ओशो ने इसके बारे में बिल्कुल सही समझाया है,

ओशो ने बताया कि उन्होंने भी शरीर त्याग दिया है तो उनको समझ में आता है कि बुद्ध का प्रारब्ध से मतलब क्या रहा होगा।

प्रारब्ध मतलब momentum। जैसे हम साइकल से एक पहाड़ से नीचे उतर रहे हैं। तो हमको पैडल नहीं लगने पड़ते, वह अपने आप नीचे दूर तक चली जाती है। वैसे ही आत्मज्ञान के बाद शरीर भी कुछ दूर तक यात्रा कर लेता है। कुछ समय बाद साइकल की गति इतनी धीरे हो जाती है कि उसका बेलेंस बनाना भी मुश्किल होता है। क्योंकि शरीर को चलते रहने के लिए जीने की इच्छा रूपी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। और अब वह ऊर्जा मिलना बंद हो गयी है।

तो प्रारब्ध के कारण इसी जीवन में शरीर छोड़ने तक जीवन जिया जाता है ब्रह्म ज्ञानी या आत्म ज्ञानी व्यक्ति द्वारा। ब्रह्म लोक से वापसी का कोई मार्ग ही नहीं है।

इसीलिए आत्मज्ञानी व्यक्ति मृत्यु के पहले काफ़ी कमजोर हो जाते हैं। जीवन की साइकल डग मग होती है गिरने के पहले।

कबीर ने कहा है:

कबीर हरी के भावते, दूर ही से दिसंत। तन क्षीणा, मन अनमना, जग से रूठी फिरंत॥

इसका मतलब बिल्कुल साफ़ है कि प्रारब्ध के कारण जब इसी जीवन में शरीर का साथ देना बंद कर दिया है आत्म ज्ञानी ने तो फिर पुनर्जन्म तो हो ही नहीं सकता। और जन्म से ब्रह्म ज्ञानी कभी कोई पैदा ही नहीं हुआ और ना होगा।

ओशो द्वारा सुझाया और मेरे द्वारा जीवन में प्रयोग करके अद्भुत परिमाण देने वाला सहज ध्यान यानी होंश पूर्वक जीना यानी रोज़ के काम में होंश का प्रयोग मेरे जीवन को बदलकर रख गया। अपने आप सहज ही मन सपने देखना कम कर देता है, फिर जब भी सपना शुरू करता है तो विवेकपूर्वक उसका आना दिखाई देने लगता है, और दिखाई दे गया कि फिर बुना नया सपना मन ने-तो फिर रोकना कोई कठिन काम नहीं है। मैंने इसे ओशो की एक किताब से सीखा और जीवन में सुबह ब्रश करते समय प्रयोग करके साधा।इसे आप मेरे अंग्रेज़ी के पोस्ट ‘Awareness as meditation’ पर पढ़ सकते हैं। 

नमस्कार ….. मैं अपनी साक्षी की साधना के व्यक्तिगत अनुभवों से अपनी टिप्पणियाँ लिखता हूँ। इस पोस्ट में दुनिया भरके रहस्यवादियों की शिक्षाएँ शामिल हो सकती हैं जिन्हें मैं अपने अनुभव से तौलकर आज भी मानने लायक समझता हूँ। अधिकजानकारी के लिए और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जुड़ने के लिए वेबसाइट https://linktr.ee/Joshuto पर एक नज़र डालें, या मेरे यूट्यूब चैनल या पॉडकास्ट आदि सुनें।

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