अंधेरी रात, तूफ़ाने तलातुम, नाख़ुदा गाफ़िल।

Photo by Kammeran Gonzalez-Keola on Pexels.com

अंधेरी राततूफ़ाने तलातुमनाख़ुदा गाफ़िल।

यह आलम है तो फिर इस किश्ती सरे मौजें रवाँ कब तक?

अच्छा यक़ीन नहीं है, तो कश्ती डूबा के देख।

एक तू ही नाख़ुदा नहीं है ज़ालिम, ख़ुदा भी है॥

ओशो talks

मेरे जीवन यात्रा पर ये दो लाइनें बिलकुल सटीक बैठती हैं। 

और मैं कहूँ कि हम सभी के जीवन पर भी यह सटीक बैठती है तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिये। 

संसार की नाव में यात्रा तो सुरक्षित है क्योंकि नाव इस किनारे से बंधी है। लेकिन ज़्यादा से ज़्यादा नदी की बीच धार तक ही जा सकतीहै। और  वहाँ यदि यह तूफ़ान में फँसे तो यह रस्सी जो सुरक्षा देती थी यही मौत का कारण बन जाती है। इसी को नाख़ुदा गाफ़िल कहाहै। 

फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है कि मैंने मँझधार में जाकर किश्ती को छोड़ दिया और अपने ऊपर भरोसा रखा कि यदि हम ग़लत कदम नहीं उठाएँ तोहमको कोई सही जगह पहुँचने से नहीं रोक सकता। 

एक तो अपने को नदी की धारा के ऊपर तिरने देना है। यही है ख़ुदा के भरोसे अपने को छोड़ देना, जब गाफ़िल नाख़ुदा हो जाये। फ़ालतूहाथ पाँव मारकर शक्ति बर्बाद नहीं करना है। 

दूसरा जब भँवर में फँस जाएँ तो और तेज़ी से उसमें भीतर जाना है। तो सबसे नीचे गति शून्य है और वहाँ से पानी खुद आपको उससे बाहरफेंक देगा। 

कहने का मतलब है अपने हाथ अपनी मौत मरना है ना की गाफ़िल के हाथों। जो मौत को transform कर पाएगा उसी कि इसी ज़िंदगी मेंtransformation भी होगा। इसी को ओशो ने कहा है ‘मैं मृत्यु सिखाता हूँ’।

तो मैंने मँझधार में नाव से छलांग लगा दी, और यह भी मैंने पाया कि यह धारा ही आपको अपने आप उस पार पहुँचाने का काम भी करतीहै। इसी को ओशो ने कहा है कि जो भी प्रयत्न करेगा पाने का या पहुँचने का तो वह डूब जाएगा। 

पहुँचने पर उस पार जो पहला धन्यवाद दिया जाता है वह उस गाफ़िल नाख़ुदा को ही दिया जाता है। उसी के कारण तो छलांग लगाई थी! यह संसार, यह नाव और यह रस्सी ग़लत नहीं है, आपको निर्णय लेने पर मजबूर करने के लिए बिलकुल सही हैं, आप safe गेम खेलते हैं, या risk लेते हैं उसपर सारा खेल का सार निकलेगा। और जब तक रिस्क नहीं लेंगे यह खेल खेलते रहना पड़ेगा जन्मों जन्मों तक। 

जब आप अपने career के peak पर हैं, तभी आप मँझधार में हैं। मेरा एक पोस्ट है ‘Few dares to enter into zones of spirituality…’ जो इसी को और गहराई से समझाने का प्रयत्न है।

ओशो द्वारा सुझाया सहज ध्यान यानी होंश पूर्वक जीना यानी रोज़ के काम में होंश का प्रयोग मेरे जीवन को बदलकर रख गया। अपने आप सहज ही मन सपने देखना कम कर देता है, फिर जब भी सपना शुरू करता है तो विवेकपूर्वक उसका आना दिखाई देने लगता है, और दिखाई दे गया कि फिर बुना नया सपना मन ने-तो फिर रोकना कोई कठिन काम नहीं है। मैंने इसे ओशो के अंग्रेज़ी में दिये एक प्रवचन से सीखा जिसे आप मेरे पोस्ट ‘Awareness as Meditation’ पर जाकर पढ़ सकते हैं। इसे मैंने अपने जीवन प्रयोग करने के लिए सुबह ब्रश करते समय शुरू किया लेकिन यह चमत्कारी परिणाम दे गया।

नमस्कार ….. मैं अपनी आंतरिक यात्रा के व्यक्तिगत अनुभवों से अपनी टिप्पणियाँ लिखता हूँ। इस पोस्ट में दुनिया भरके रहस्यवादियों की शिक्षाएँ शामिल हो सकती हैं जिन्हें मैं अपने अनुभव से तौलकर आज भी मानने लायक समझता हूँ। अधिकजानकारी के लिए और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जुड़ने के लिए, वेबसाइट https://linktr.ee/Joshuto पर एक नज़र डालें, या मेरे यूट्यूब चैनल  या पॉडकास्ट भी सुन सकते हैं। 

कॉपीराइट © ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन, अधिकतर प्रवचन की एक एमपी 3 ऑडियो फ़ाइल को osho डॉट कॉम से डाउनलोड किया जा सकता है या आप उपलब्ध पुस्तक को OSHO लाइब्रेरी में ऑनलाइन पढ़ सकते हैं।यू ट्यूब चैनल ‘ओशो इंटरनेशनल’ पर ऑडियो और वीडियो सभी भाषाओं में उपलब्ध है। OSHO की कई पुस्तकें Amazon पर भी उपलब्ध हैं।

मेरे सुझाव:- 

ओशो के डायनामिक मेडिटेशन को ओशो इंटरनेशनल ऑनलाइन (ओआईओ) ऑनलाइन आपके घर से ओशो ने नई जनरेशन के लिए जो डायनामिक मेडिटेशन दिये हैं उन्हें सीखने की सुविधा प्रदान करता है। ओशो ध्यान दिवस अंग्रेज़ी में @यूरो 20.00 प्रति व्यक्ति के हिसाब से। OIO तीन टाइमज़ोन NY, बर्लिन औरमुंबई के माध्यम से घूमता है। आप अपने लिए सुविधाजनक समय के अनुसार प्रीबुक कर सकते हैं।

If you need further clarification on this post or if you wish to share your experience in this regard that may prove beneficial to visitors, please comment.