कोरोना काल में मृत्यु से सीखें कि जीवन क्या है?

कोरोना काल में जब हर व्यक्ति एक गुमनाम मौत मरने के क़रीब आ गया है, तो यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि जीवन का उद्देश्य क्या है? यही प्रश्न मेरे सामने उपस्थित हुआ तब मैंने जो किया, वह आप तक पहुँचाने का प्रयत्न किया है।

ओशो द्वारा सुझाया सहज ध्यान यानी होंश पूर्वक जीना यानी रोज़ के काम में होंश का प्रयोग मेरे जीवन को बदलकर रख गया। अपने आप सहज ही मन सपने देखना कम कर देता है, फिर जब भी सपना शुरू करता है तो विवेकपूर्वक उसका आना दिखाई देने लगता है, और दिखाई दे गया कि फिर बुना नया सपना मन ने-तो फिर रोकना कोई कठिन काम नहीं है। मैंने इसे ओशो के एक अंग्रेज़ी के प्रवचन से सीखा जिसे मेरी पोस्ट Awareness as Meditation पर जाकर पढ़ सकते हैं।और जीवन में सुबह ब्रश करते समय प्रयोग करके साधा।

नमस्कार ….. मैं अपनी आंतरिक यात्रा के व्यक्तिगत अनुभवों से अपनी टिप्पणियाँ लिखता हूँ। इस पोस्ट में दुनिया भरके रहस्यवादियों की शिक्षाएँ शामिल हो सकती हैं जिन्हें मैं आज भी मानने लायक समझता हूँ। मेरे बारे में अधिकजानकारी के लिए और मेरे साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जुड़ने के लिए वेबसाइट https://linktr.ee/Joshuto पर एक नज़र डालें, या मेरे यूट्यूब चैनल की सदस्यता लें और/यापॉडकास्ट आदि सुनें।

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