अंतिम पायदान से शून्य में छलाँग

ध्यान के शून्य में छलांग लगाने के दौरान बेहोंश  हो जाने पर अस्पताल से वापस घर आने पर लिया मेरा फोटो ऊपर अंग्रेज़ी में लिखा है never born, never going to die. A treaveller of this planet.
शून्य में छलांग लगाने के बाद संसार के चक्र से बाहर होकर लिया गया फोटो

शून्य में छलांग लगाने की हिम्मत करके ध्यान में डूबकर बेहोंश होने के बाद अस्पताल से वापस घर आने पर क़रीब पिछले पंद्रह दिनों में मेरे अनुभवों को में कबीर के इस दोहे के समान अनुभव करता हूँ।


कबीर मन निश्चल भया, और दुर्बल भया शरीर।
तब पीछे लागा हरी फिरे, क़हत कबीर कबीर।।

उसी अनुभव को ओशो ने इस प्रकार कहा है:-

मत छुओ इस झील को
कंकड़ी मारो नहीं
पत्तियाँ डारो नहीं
फूल मत बोरो
और कागज की तरी(नाव)
इसमें नहीं छोड़ो
खेल में तुमको
पुलक उन्मेष होता है
लहर बनाने में
सलिल को क्लेश होता है।

अष्टावक्र महागीता पर ओशो के प्रवचन, भाग ४, प्रवचन ३१-मनुष्य एक अजनबी है।

मेरा अनुभव:
यहाँ आत्मज्ञान के पश्चात् निर्विचार मन को झील से निरूपित या इंगित किया गया है। कंकड़ी है हमारा काम, पत्तियाँ हैं हमारा क्रोध, फूल हैं हमारा लोभ और कागज की नाव है हमारा मोह।
आत्मज्ञान प्राप्त व्यक्ति की आँखें गाय के समान हो जाती हैं, शून्य को देखने में सक्षम आँख।
तो जब भी बचपन में हमको कहा जाता था कि पानी में कंकड़ पत्थर नहीं डालना चाहिये। पानी में कचरा नहीं डालना चाहिये। तो तात्पर्य मन की झील में चार विकारों को नहीं आने देने से था। गाय की रक्षा करना चाहिए तो तात्पर्य था कि ऐसे व्यक्ति जिनको आत्मज्ञान को प्राप्त हो गए हैं उनको परेशान नहीं, बल्कि उनकी रक्षा करना चाहिए। जैसे अंगुलीमाल को मारकर हमने एक ऐसे गुरु को खो दिया जिसके मार्गदर्शन से हज़ारों लाखों लोग आत्मज्ञान को प्राप्त हो सकते थे।

हमने चाँद की ओर जो उँगली दिखाई जा रही थी उसको ही पकड़ लिया और गाय (जानवर) की रक्षा में इंसानों तक को मार दिया।

गाय के लिए इंसान को मार सके क्योंकि हमको मन ही मन अपना सारा संसार रचने में’पुलक उन्मेष’ यानी बड़ा आनंद आता है, और सलिल कहते हैं कि मुझे यह सबसे बड़ा क्लेश नज़र आया है। शून्य में छलांग इस सारे क्लेश से सदा के लिए मुक्ति है।

ओशो, ओशो, ओशो मेरे ओशो।
होंश में जीने का मौक़ा दे दिया, ओशो।

ओशो द्वारा सुझाया सहज ध्यान यानी होंश पूर्वक जीना यानी रोज़ के काम में होंश का प्रयोग मेरे जीवन को बदलकर रख गया। अपने आप सहज ही मन सपने देखना कम कर देता है, फिर जब भी सपना शुरू करता है तो विवेकपूर्वक उसका आना दिखाई देने लगता है, और दिखाई दे गया कि फिर बुना नया सपना मन ने-तो फिर रोकना कोई कठिन काम नहीं है। मैंने इसे एक किताब से सीखा और जीवन में सुबह ब्रश करते समय प्रयोग करके साधा।

मेरे जीवन के अनुभव से मैं कहता हूँ कि दैनिक जीवन में होंश के प्रयोग के साथ साथ सहज जीवन भी यदि जिया जाए तो साधना की सरलता से सफलता भी बढ़ जाती है। ये दोनों एक दूसरे को मज़बूत करते जाते हैं। मुझसे सोशल मीडिया और अन्य ब्लॉग पर जुड़ने के लिए।

मैंने ओशो का अवेयरनेस मेडिटेशन जिस अंग्रेज़ी के प्रवचन से सीखा उस प्रवचन को मेरे अंग्रेज़ी के इस पोस्ट पर पढ़ा जा सकता है। 

कॉपीराइट © ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन, अधिकतर प्रवचन की एक एमपी 3 ऑडियो फ़ाइल को osho डॉट कॉम से डाउनलोड किया जा सकता है या आप उपलब्ध पुस्तक को OSHO लाइब्रेरी में ऑनलाइन पढ़ सकते हैं।यू ट्यूब चैनल ‘ओशो इंटरनेशनल’ पर ऑडियो और वीडियो सभी भाषाओं में उपलब्ध है। OSHO की कई पुस्तकें Amazon पर भी उपलब्ध हैं।

मेरा सुझाव:- 

ओशो के डायनामिक मेडिटेशन को ओशो इंटरनेशनल ऑनलाइन (ओआईओ) ऑनलाइन आपके घर से सीखने की सुविधा प्रदान करता है। ओशो ध्यान दिवस अंग्रेज़ी में @यूरो 20.00 प्रति व्यक्ति के हिसाब से। OIO तीन टाइमज़ोन NY, बर्लिन औरमुंबई के माध्यम से घूमता है। आप अपने लिए सुविधाजनक समय के अनुसार प्रीबुक कर सकते हैं।

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