ईश्वर हर मनुष्य को सहज ही उपलब्ध है

हर मनुष्य को ईश्वर सहज ही उपलब्ध है और जीतने भी वर्ण बनाये गये हैं वे हमको भटकाने के लिए हैं।
ईश्वर सहज ही उपलब्ध है यह बताने के लिए ओशो यहाँ पलटुदास के संदेशों पर बोलते हुए जाती और वर्ण व्यवस्था पर प्रहार करते हैं। वे बताते हैं कि समस्या तब होती है जब कोई व्यक्ति जिसका व्यक्तित्व गेंदे की तरह है वह गुलाब बनकर ईश्वर को प्राप्त करना चाहता है, क्योंकि उसे बचपन में बताया गया है कि जिस परिवार में उसने जन्म लिया है उसके कारण वह गुलाब के अलावा कुछ नहीं हो सकता। उसे महसूस भी होता हो तो जो प्रिविलेज उसे मिल रहे हैं उसके सामने उसको परिवार की बात मान लेने में ही भलाई नज़र आती है। लेकिन समय के साथ जब उसके सामने एक एक व्यक्ति की पोल खुलती है तो वह अपने को ठगा सा महसूस करता है। ओशो का कहना है कि एक साहसी निर्णय बाक़ी के जीवन के लिए वरदान की तरह साबित हो सकता है, क्योंकि गेंदा होकर वह आत्मज्ञान के काफ़ी क़रीब ही है।
ओशो यहाँ व्यक्तित्व को बाँटने के  तरीक़े के बारे में बताते हैं।
चार तरह के व्यक्तित्व हो सकते हैं, उसे पश्चिम में कुछ और कहने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।
ब्राह्मण का मतलब उसकी ऊर्जा पी, उसका रुझान बुद्धि के उपयोग के तरीक़े  के बारे में बताते हुए ईश्वर मनुष्य को सहज उपलब्ध होने के बारे में बताते हैं।
ओशो यहाँ ब्राह्मण के आत्मज्ञान के तरीक़े के बारे में बताते हैं।
ओशो यहाँ क्षत्रिय व्यक्ति के बारे में बताते हुए उसके बाहुबल के उपयोग पर उसकी निष्ठा अधिक होने और उसके तरीक़े के बारे में बताते हुए ईश्वर मनुष्य को सहज उपलब्ध होने के बारे में बताते हैं।
ओशो यहाँ क्षत्रिय के आत्मज्ञान के तरीक़े के बारे में बताते हैं।
ओशो यहाँ वैश्य वर्ण के व्यक्तित्व की ख़ासियत बताते हुए धन और पद पर उसकी भारी निष्ठा के तरीक़े के बारे में बताते हुए ईश्वर मनुष्य को सहज उपलब्ध होने के बारे में बताते हैं।
ओशो यहाँ वैश्य के आत्मज्ञान के तरीक़े के बारे में बताते हैं।
ओशो यहाँ बाक़ी तीनों वर्ग के लोगों की निष्ठा को उनके अधिक भटकाव का कारण बताते हुए शूद्र की राह के अधिक आसान होने लेकिन उसके चल पड़ने में ही सारी कठिनाई बताते हुए उसके आत्मज्ञान के तरीक़े के बारे में बताते हैं,
ओशो यहाँ शूद्र के आत्मज्ञान के तरीक़े के बारे में बताते हैं। ओशो यहाँ बाक़ी तीनों वर्ग के लोगों की निष्ठा को उनके अधिक भटकाव का कारण बताते हुए शूद्र की राह के अधिक आसान होने लेकिन उसके चल पड़ने में ही सारी कठिनाई बताते हैं।

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समय के साथ, 20 वर्षों के भीतर, मैं अन्य कृत्यों के दौरान होंश या जागरूकता को लागू करने में सक्षम हो गया, जबकि मुझे बाद में एहसास हुआ कि कई कृत्यों में यह पहले ही स्वतः होने लगा था।

संपूर्णता के साथ जीना, जीवन को एक प्रामाणिक रूप में जीना यानी भीतर बाहर एक और ईमानदारी से जीना, लोगोंकी बिना भेदभाव के निःस्वार्थ भाव से सेवा करना और सभी बंधनों (धार्मिक, शैक्षिक, जाति, रंग आदि) से मुक्त होनातीन महत्वपूर्ण उत्प्रेरक हैं जो किसी को गहराई तक गोता लगाने में मदद करते हैं। और तब ही हमको पता चलता है कि ईश्वर सहज ही उपलब्ध है।

होंश का प्रयोग मेरे लिए काम करने का तरीका है, (instagram पर होंश) हो सकता है कि आपको भी यह उपयुक्तलगे अन्यथा अधिकांश लोगों के लिए गतिशील ध्यान है। लगभग 500 साल पहले भारतीय रहस्यवादी गोरखनाथद्वारा खोजी गई और ओशो द्वारा आगे संशोधित की गई 110 अन्य ध्यान तकनीकें हैं जिनका प्रयोग किया जा सकताहै और नियमित जीवन में उपयुक्त अभ्यास किया जा सकता है। मेरी वेबसाइट https://linktr.ee/Joshuto पर मेरे अन्य चैनल और सोशल मीडिया पर।

ओशो इंटरनेशनल ऑनलाइन (ओआईओ) इन्हें आपके घर से सीखने की सुविधा प्रदान करता है,

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