Mu-nan, the Man Who Never Turned Back

For me the message from the Koan is that one has to keep growing inwards like the master. Then even a person with little intelligence can get the glimpse of the truth in your presence. Most people start changing others after learning few inner world know how. If a person is able to listen carefully, […]

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ईश्वर हर मनुष्य को सहज ही उपलब्ध है

फ्री में पढ़ने के लिए इस लिंक पर जायें और ऐप डाउनलोड करके पढ़ें। अजहूँ चेत गँवार, संत पलटुदास पर ओशो के प्रवचन, #१ https://amzn.in/eVL6VY3  समय के साथ, 20 वर्षों के भीतर, मैं अन्य कृत्यों के दौरान होंश या जागरूकता को लागू करने में सक्षम हो गया, जबकि मुझे बाद में एहसास हुआ कि कई कृत्यों में यह पहले ही स्वतः होने लगा था। संपूर्णता के साथ जीना, जीवन को एक प्रामाणिक रूप में जीना यानी भीतर बाहर एक और ईमानदारी से जीना, लोगोंकी बिना भेदभाव के निःस्वार्थ भाव से सेवा करना […]

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भक्ति साकार से शुरू होकर निराकार तक पहुँचे तभी पूर्णता को प्राप्त होती है।

भक्ति तो साकार होगी; भगवान साकार नहीं है। थोड़ी कठिनाई होगी तुम्हें समझने में। क्योंकि शास्त्रों से बंधी हुई बुद्धि को अड़चने हैं।भक्ति तो साकार है; लेकिन भगवान साकार नहीं है। क्योंकि भक्ति का संबंध भक्त से है, भगवान से नहीं है। भक्त साकार है, तो भक्ति साकार है। 

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भक्त को तो पता ही नहीं होता कि वह भक्ति कर रहा है।

मेरे अनुभव से यह बताने कि
का प्रयत्न है कि असंभव मनुष्य के लिए कुछ है ही नहीं। हमारा होना ही संभव को असंभव बनाता है। और आज के संसार में जहां कई प्लेटफार्म पर अलग अलग आइडेंटिटी बनाकर चलना पड़ता है तब हमारा मिटना कैसे संभव है? तो यह कैसे संभव हो सकता है इसका एक प्रयत्न किया है उसकी तरफ़ इशारा किया है।

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Are you an amature atheist or mature atheist?

In my opinion a real atheist will soon turns agnostic, because he is now experimenting on self ie subjective research and only his own outcome will satisfy him. And he keeps experimenting new till he finds a solution. Becoming atheist is start of a journey and not the end.

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तर्कवादी लोग संगठित धर्म और स्वधर्म के बीच त्रिशंकु ना होकर, आगे बढ़ें

अंग्रेज़ी में स्वतंत्र पत्रकारिता में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाने माने द न्यूज़ मिनट से लेकर गूगल ट्रांसलेट की मदद से हिन्दी में अनुवादित रिपोर्ट “इस्लामिक कानूनों और इस्लामोफोबिया के बीच फंसा: केरल में एक पूर्व-मुस्लिम होना” न्यूज़ रिपोर्ट लिंक पर उपलब्ध है।  इस खबर पर मेरे विचार और ऐसे पूर्व-मुस्लिम या पूर्व-ईसाई या पूर्व-हिंदू […]

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संसार में निरोध स्वरुपा है भक्ति – नारद

The spiritual side of knowing that the world is not real is discussed with reference to new scientific discovery leading to Nobel Prize that the world is not real.

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Grief could be used to transform our 4D body.

We are not just this body mind but we are beyond it too and this body mind is too small as compared to the beyond. Beginning with touching our body all around till infinite is part of our body called as ‘beyond’ which we all share as oneness. I use wave part of an atom in quantum physics as metaphor or as another metaphor i use 4th Dimension.

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energy is YHWH. QED – Hence proved.

If life is treated as a problem of mathematics, then it’s solution QED comes on its own ie Wu-Wei-Wu by ‘doing something’ or say ‘by practicing meditation’ or by personal prayer because we are included in its solution and it lies within us.

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अहंकार का वीआर हेडसेट लगाकर देखने के कारण ही जीवन में भ्रांति है, अन्यथा यह महज़ एक खेल है

सबसे पहले तो मैं यह बताना चाहता हूँ कि बुद्ध ने कहा हैं “बुद्धमशरणम गच्छामी, संघम शरणम गच्छामी, धम्मम शरणम गच्छामी,“ इसका मतलब यह है कि किसी व्यक्ति को यदि ख़ुद कि सच्चाई या आत्मज्ञान को प्राप्त होना है तो पहली प्राथमिकता यह है कि वह किसी आत्मज्ञानी व्यक्ति के पास जाकर रहने लगे। दूसरी […]

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मनुष्य संसार में रहते हुए ही प्रकाश को इस तरह प्राप्त करे

ओशो से इनके संन्यासी का प्रश्न : मैं स्वयं के लिए प्रकाश कैसे बन सकता हूँ? ओशो : ‘अप्प दीपो भव’ ये गौतम बुद्ध के अंतिम शब्द थे, उनके शिष्यों के लिए उनका बिदाई संदेश: “स्वयं प्रकाशवान हो जाओ”. लेकिन जब वे कह रहे हैं, “स्वयं प्रकाशवान हो जाओ” उसका मतलब यह नहीं है कि “अपने लिए एक प्रकाश बनो”. होने और बनने में बहुत फर्क है। बनना एक प्रक्रिया है; ( जैसे डॉक्टर बनना, इंजीनियर बनना) होना एक खोज है। बीज ही वृक्ष में परिवर्तित होता है; वह एक रूप है। बीज में पहले से ही वृक्ष था, वह उसका अस्तित्व या श्रेष्ठतम रूप था। बीज फूल नहीं बनता। बीज में फूल पहले से थे अप्रकट, अब प्रकट हैं। बनने का सवाल ही नहीं है। वरना एक कंकड़ फूल बन सकता था। लेकिन ऐसा नहीं होता है। चट्टान गुलाब नहीं बन सकती; ऐसा नहीं होता है क्योंकि चट्टान में गुलाब होने की कोई क्षमता नहीं है। बीज केवल मिट्टी में मरकर स्वयं को खोज लेता है – अपने बाहरी आवरण को गिराकर, वह अपनी आंतरिक वास्तविकता में प्रकट हो जाता है। हर मनुष्य बीजरूप में प्रकाश है। आप पहले से ही बुद्ध हैं। ऐसा नहीं है कि तुम्हें बुद्ध बनना है, यह सीखने का सवाल नहीं है, हासिल करने का सवाल है, यह सिर्फ पहचानने का सवाल है- यहअपने भीतर जाकर देखने का सवाल है कि वहां क्या है। यह आत्म-खोज है।यह भीतर की आँख जिसको हम कभी कभी प्रयोग में लेते हैं -जब कोई […]

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