संविधान बनने से पहले स्त्रियों को १३ वर्ष में बालिग़ माना जाता था। मनुस्मृति के अनुसार बचपन में पिता के अंडर, जवानी में पति की दासी और बुढ़ापे मे बेटे की कृपा पर निर्भर रहती थी। बाबा साहब डॉ अंबेडकर ने संविधान मे इनको बराबरी का दर्जा दिया। संपत्ति का अधिकार, नौकरी में बराबरी का अधिकार, ये सब बाबा साहब की देन है
ये सन्देश उन महिलाओं के लिए, जो कहती है कि बाबा साहेब ने कुछ नहीं किया।
Read More मनु संस्कृति से स्त्रियों को अंबेडकर, ओशो ने कैसे मुक्ति दीIf you like the post worth helpful to you, let others in your connections get helped by Sharing this:
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