संन्यास का अर्थ निर्वाण की उद्घोषणा पर: इस चक्की पर खाते चक्कर

  इसी से सम्बंधित मेरा पोस्ट Medium पर. इस चक्की पर खाते चक्कर. मेरा तन-मन, जीवन जर्जर हे कुंभकार, मेरी मिट्टी को और न अब हैरान करो, अब मत मेरा निर्माण करो। ये लाइनें वही मिट्टी बोल सकतीं है जो चक्की पर से छिटक कर बाहर गिर पड़ी हैं, या वे व्यक्ति जो आत्मज्ञान को […]

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सहज जीवन के सूत्र-जो कार्य सहज वह कर्तव्य

Living sahaj life is worth trying in life. The book of Mirdad has described it using metaphor of a speaking book.

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अंतिम पायदान से शून्य में छलाँग

क़रीब पिछले पंद्रह दिनों में मेरे अनुभवों को में कबीर के इस दोहे के समान अनुभव करता हूँ।
कबीर मन निश्चल भया, और दुर्बल भया शरीर।
तब पीछे लागा हरी फिरे, क़हत कबीर कबीर।।

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