ईश्वर हर मनुष्य को सहज ही उपलब्ध है

फ्री में पढ़ने के लिए इस लिंक पर जायें और ऐप डाउनलोड करके पढ़ें। अजहूँ चेत गँवार, संत पलटुदास पर ओशो के प्रवचन, #१ https://amzn.in/eVL6VY3 

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भक्ति साकार से शुरू होकर निराकार तक पहुँचे तभी पूर्णता को प्राप्त होती है।

भक्ति तो साकार होगी; भगवान साकार नहीं है। थोड़ी कठिनाई होगी तुम्हें समझने में। क्योंकि शास्त्रों से बंधी हुई बुद्धि को अड़चने हैं।भक्ति तो साकार है; लेकिन भगवान साकार नहीं है। क्योंकि भक्ति का संबंध भक्त से है, भगवान से नहीं है। भक्त साकार है, तो भक्ति साकार है। 

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भक्त को तो पता ही नहीं होता कि वह भक्ति कर रहा है।

मेरे अनुभव से यह बताने कि
का प्रयत्न है कि असंभव मनुष्य के लिए कुछ है ही नहीं। हमारा होना ही संभव को असंभव बनाता है। और आज के संसार में जहां कई प्लेटफार्म पर अलग अलग आइडेंटिटी बनाकर चलना पड़ता है तब हमारा मिटना कैसे संभव है? तो यह कैसे संभव हो सकता है इसका एक प्रयत्न किया है उसकी तरफ़ इशारा किया है।

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साधारण मनुष्य भी संसार में रहते हुए आत्मज्ञान को इस तरह से प्राप्त हो सकता है।

फोटो इंस्टाग्राम अकाउंट @ishq.of.gulzar से लिया गया है। संसार में रहकर संसार से अलग या तटस्थ रहने की कला यही है। मैंने इसे जीवन में प्रयोग किया और सही पाया। प्रश्न : मैं स्वयं के लिए प्रकाश कैसे बन सकता हूँ? ओशो: ‘अप्प दीपो भव’ ये गौतम बुद्ध के अंतिम शब्द थे, उनके शिष्यों के लिए उनका बिदाई संदेश: “स्वयं प्रकाशवान हो जाओ”. लेकिन जब वे कह रहे हैं, “स्वयं प्रकाशवान हो जाओ” उसका मतलब यह नहीं है कि “अपने लिए एक प्रकाश बनो”. होने और बनने में बहुत फर्क है। बनना एक प्रक्रिया है; ( जैसे डॉक्टर बनना, इंजीनियर बनना) होना एक खोज है। बीज ही वृक्ष में परिवर्तित होता है; वह एक रूप है। बीज में पहले से ही वृक्ष था, वह उसका अस्तित्व या श्रेष्ठतम रूप था। बीज फूल नहीं बनता। बीज में फूल पहले से थे अप्रकट, अब प्रकट हैं। […]

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प्रेम ❤️ क्या है?

जीवन में सबसे ज़्यादा बात प्रेम की होती है क्योंकि लोग बात करने को ही प्रेम होना मान लेते हैं और असल प्रेम से वंचित रह जाते हैं। ओशो के प्रेम पर दिए गए प्रवचनों के आधार पर मैंने सच्चे प्रेम के बारे में कुछ ज़रूरी प्रयोगों को ज़िंदगी में उतारकर और खुद के अनुभव को ही सही मानकर जो जाना उसको बताने का प्रयत्न किया है।

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🔹🔹 लाओ त्ज़ु पर ओशो श्री अरविंद के माध्यम से 🔹🔹

Maharshi Arvind was a mystic of India and he was also participating in Indian Independence struggle. Later he left the group of freedom fighters and started living in his ashram. There he practically demonstrated that when you need to do something great then it can only be done by non-action.

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खुदी का नशेमन तेरे दिल में है, फलक जिस तरह आंख के तिल में है-किस तरह किबरीज़ से रोशन हो बिजली का चिराग!

जैसे ही थोड़ी-सी समझ को तुम उकसाओगे, वैसे ही तुम पाओगे: तुम्हारे भीतर की रोशनी न तो तेल चाहती है न गंधक; (न राग की ज़रूरत है, ना द्वेष की। वहाँ दूसरा कोई है ही नहीं सब तुम्हारा ही विस्तार है, तुम्हारे मन का projection है जो संसार निर्मित कर रहा है । मेरा post […]

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लोग टाइम टेबल ही पढ़ते रहते हैं

Instead of embarking upon journey to discover self, people keep reading t8me tables of the train. This human life needs to be spent in exploring this world, because this is the only way wisdom grows in a human being.

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वही संपत्ति है जो मृत्यु के पार चली जाए-ओशो

Right way to live humAn life is by continuous practice of awareness meditation in all possible acts of routine.

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व्यक्ति परम मूल्य है। राज्य व्यक्ति का सेवक है, मालिक नहीं।-ओशो

Here Osho describes that the government and its politicians are servants of the people. They should not act as boss of their citizen. Every Human being is given highest regard by the rulers.

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तुम अपने को जमा लो, सारी दुनिया अपने आप जमने लगेगी।-ओशो

To bring some change in the world people wish to dedicate their whole life for carbon footprint control or sustainability or saving rivers etc. They forget that they too are an important part of the world. And if they change themselves then that may be the biggest contribution they can give to this world.

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