मुस्लिम धर्म को चीन, जापान के लोग ऐसे समझें

मैंने लाओ त्जु के ताओ को कुछ कुछ समझा है। उसके शिष्य लू त्जु की किताब ‘द सीक्रेट ऑफ़ गोल्डन फ़्लॉवर’ पर ओशो के प्रवचन की किताब भी अभी पढ़ ही रहा हूँ। किसी भी धर्म को जड़मूल से समझने के ओशो के बताये तरीक़े को मैं सबसे ज़्यादा बेहतर समझता हूँ। उन्होंने कहा है […]

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हमारा दर्शन पॉडकास्ट अब Amazon Music पर भी सुना जा सकता है।

यदि आप Amazon के प्राइम मेम्बर हैं तो आप नीचे नीले अक्षर पर क्लिक करके मेरे हिन्दी के पॉडकास्ट दर्शन (Philosia) को अब  Amazon Music  पर भी सुन सकते हैं। इसमें मैं अपनी आध्यात्मिक यात्रा के अनुभव शेयर करता हूँ, जो आपको अपनी यात्रा में एक कदम और बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं। My podcast […]

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ईश्वर हर मनुष्य को सहज ही उपलब्ध है

फ्री में पढ़ने के लिए इस लिंक पर जायें और ऐप डाउनलोड करके पढ़ें। अजहूँ चेत गँवार, संत पलटुदास पर ओशो के प्रवचन, #१ https://amzn.in/eVL6VY3  समय के साथ, 20 वर्षों के भीतर, मैं अन्य कृत्यों के दौरान होंश या जागरूकता को लागू करने में सक्षम हो गया, जबकि मुझे बाद में एहसास हुआ कि कई कृत्यों में यह पहले ही स्वतः होने लगा था। संपूर्णता के साथ जीना, जीवन को एक प्रामाणिक रूप में जीना यानी भीतर बाहर एक और ईमानदारी से जीना, लोगोंकी बिना भेदभाव के निःस्वार्थ भाव से सेवा करना […]

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मनुष्य संसार में रहते हुए ही प्रकाश को इस तरह प्राप्त करे

ओशो से इनके संन्यासी का प्रश्न : मैं स्वयं के लिए प्रकाश कैसे बन सकता हूँ? ओशो : ‘अप्प दीपो भव’ ये गौतम बुद्ध के अंतिम शब्द थे, उनके शिष्यों के लिए उनका बिदाई संदेश: “स्वयं प्रकाशवान हो जाओ”. लेकिन जब वे कह रहे हैं, “स्वयं प्रकाशवान हो जाओ” उसका मतलब यह नहीं है कि “अपने लिए एक प्रकाश बनो”. होने और बनने में बहुत फर्क है। बनना एक प्रक्रिया है; ( जैसे डॉक्टर बनना, इंजीनियर बनना) होना एक खोज है। बीज ही वृक्ष में परिवर्तित होता है; वह एक रूप है। बीज में पहले से ही वृक्ष था, वह उसका अस्तित्व या श्रेष्ठतम रूप था। बीज फूल नहीं बनता। बीज में फूल पहले से थे अप्रकट, अब प्रकट हैं। बनने का सवाल ही नहीं है। वरना एक कंकड़ फूल बन सकता था। लेकिन ऐसा नहीं होता है। चट्टान गुलाब नहीं बन सकती; ऐसा नहीं होता है क्योंकि चट्टान में गुलाब होने की कोई क्षमता नहीं है। बीज केवल मिट्टी में मरकर स्वयं को खोज लेता है – अपने बाहरी आवरण को गिराकर, वह अपनी आंतरिक वास्तविकता में प्रकट हो जाता है। हर मनुष्य बीजरूप में प्रकाश है। आप पहले से ही बुद्ध हैं। ऐसा नहीं है कि तुम्हें बुद्ध बनना है, यह सीखने का सवाल नहीं है, हासिल करने का सवाल है, यह सिर्फ पहचानने का सवाल है- यहअपने भीतर जाकर देखने का सवाल है कि वहां क्या है। यह आत्म-खोज है।यह भीतर की आँख जिसको हम कभी कभी प्रयोग में लेते हैं -जब कोई […]

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कबीर के दोहे और उलटबाँसियाँ, क़रीब 500 चुने हुए

कबीर के दोहे पर लिखी पिछली पोस्ट से इसको लिंक किया गया है जिसमें कुल २३ इमेज़ों में ५०० से ज़्यादा दोहे जो हाथ से लिखकर पोस्ट किए हैं। वहाँ पोस्ट अंग्रेज़ी में है ताकि अंग्रेज़ी जानकार लोग उससे कुछ सीख सकें।  कबीर के दोहे पर यह पोस्ट हिन्दी के जानकारों को उन दोहों तक […]

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शास्त्र पढ़ना, कहीं अंतर्यात्रा पर ना निकलने का बहाना तो नहीं

Instead of embarking upon journey to discover self, people keep reading t8me tables of the train. This human life needs to be spent in exploring this world, because this is the only way wisdom grows in a human being.

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दुनिया बदलने की कुंजी है कि तुम अपने को जमा लो

To bring some change in the world people wish to dedicate their whole life for carbon footprint control or sustainability or saving rivers etc. They forget that they too are an important part of the world. And if they change themselves then that may be the biggest contribution they can give to this world.

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मातृशक्ति की तरह ग्रहणशील है ताओ

मातृशक्ति की तरह ताओ संसार को आपने गर्भ में सम्भाले हुए है और संसार उसके गर्भ में धीरे धीरे बढ़ रहा है। ताओ से ही ऊर्जा ग्रहण करके संसार विकसित हो रहा है। हमारे द्वारा किया गया कोई भी कर्म इसीलिए कोई मायने नहीं रखता है। हम इस संसार रूपी गर्भस्थ शिशु के शरीर में […]

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