खुदी का नशेमन तेरे दिल में है, फलक जिस तरह आंख के तिल में है-किस तरह किबरीज़ से रोशन हो बिजली का चिराग!hyव

“हम बड़े बेईमान हैं। हम हजार बहाने करते हैं। हमारी बेईमानी यह है कि हम यह भी नहीं मान सकते कि हम संन्यास नहीं लेना चाहते, कि वैराग्य नहीं चाहते। हम यह भी दिखावा करना चाहते हैं कि चाहते हैं, लेकिन क्या करें! किंतु-परंतु बहुत हैं। ‘ ‘पापकर्म के प्रवर्तक राग और द्वेष ये दोContinue reading “खुदी का नशेमन तेरे दिल में है, फलक जिस तरह आंख के तिल में है-किस तरह किबरीज़ से रोशन हो बिजली का चिराग!hyव”