ओशो का संन्यासी किसी एक के प्रेम में हारा हुआ होकर संन्यासी नहीं बना है, बल्कि उसके उलट वह सबसे प्रेम करता है। उनके दुःख को वह अपना दुःख समझता है इसलिए उसके प्रेम से किए कार्य, सहयोग, मदद, सेवा के बदले वह बग़ैर किसी उम्मीद के अपने कार्य में ही असीम आनंद की एकContinue reading “Prem and vairagya”
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खुदी का नशेमन तेरे दिल में है, फलक जिस तरह आंख के तिल में है-किस तरह किबरीज़ से रोशन हो बिजली का चिराग!hyव
“हम बड़े बेईमान हैं। हम हजार बहाने करते हैं। हमारी बेईमानी यह है कि हम यह भी नहीं मान सकते कि हम संन्यास नहीं लेना चाहते, कि वैराग्य नहीं चाहते। हम यह भी दिखावा करना चाहते हैं कि चाहते हैं, लेकिन क्या करें! किंतु-परंतु बहुत हैं। ‘ ‘पापकर्म के प्रवर्तक राग और द्वेष ये दोContinue reading “खुदी का नशेमन तेरे दिल में है, फलक जिस तरह आंख के तिल में है-किस तरह किबरीज़ से रोशन हो बिजली का चिराग!hyव”
लोग टाइम टेबल ही पढ़ते रहते हैं
ब्रेकेट में मैंने अपने अनुभव के आधार पर उस हिस्से पर और प्रकाश डालने का प्रयत्न किया है ताकि आप ओशो के उँगली के इशारे की तरफ़ नज़र डालें ना कि उँगली की पूजा करने लगें। “लोग बहाने खोजते हैं–न मालूम कितने-कितने! पति कहता है कि पत्नी रोकती है। कौन किसको रोक सका है: कौनContinue reading “लोग टाइम टेबल ही पढ़ते रहते हैं”
वही संपत्ति है जो मृत्यु के पार चली जाए-ओशो
बड़े कोष्ठक में ओशो एक कहानी के संदर्भ में जो कह रहे हैं वह है और छोटे कोष्ठक में मेरे अनुभव से ओशो के प्रवचन पर प्रकाश डाला गया है ताकि आपको बात गहरे बैठ जायँ और आप आज ही से जीवन में कुछ बदलाव लाकर उसका प्रभाव देख सकें । यह ज़रूरी नहीं किContinue reading “वही संपत्ति है जो मृत्यु के पार चली जाए-ओशो”
व्यक्ति परम मूल्य है। राज्य व्यक्ति का सेवक है, मालिक नहीं।-ओशो
राज्य व्यवस्थापक होना चाहिए, नियंत्रक नहीं। राज्य का उपाय..उपयोगिता व्यवस्था-आधारित होनी चाहिए। लोगों के जीवन में कितनी सुविधा आ सके, उसके लिए राज्य को फिकर करनी चाहिए। और राज्य को बाधा नहीं देनी चाहिए लोगों के जीवन में। बाधा तभी देनी चाहिए जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे के जीवन में बाधा दे रहा हो, अन्यथाContinue reading “व्यक्ति परम मूल्य है। राज्य व्यक्ति का सेवक है, मालिक नहीं।-ओशो”