ओशो का संन्यासी किसी एक के प्रेम में हारा हुआ होकर संन्यासी नहीं बना है, बल्कि उसके उलट वह सबसे प्रेम करता है। उनके दुःख को वह अपना दुःख समझता है इसलिए उसके प्रेम से किए कार्य, सहयोग, मदद, सेवा के बदले वह बग़ैर किसी उम्मीद के अपने कार्य में ही असीम आनंद की एकContinue reading “Prem and vairagya”
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वही संपत्ति है जो मृत्यु के पार चली जाए-ओशो
बड़े कोष्ठक में ओशो एक कहानी के संदर्भ में जो कह रहे हैं वह है और छोटे कोष्ठक में मेरे अनुभव से ओशो के प्रवचन पर प्रकाश डाला गया है ताकि आपको बात गहरे बैठ जायँ और आप आज ही से जीवन में कुछ बदलाव लाकर उसका प्रभाव देख सकें । यह ज़रूरी नहीं किContinue reading “वही संपत्ति है जो मृत्यु के पार चली जाए-ओशो”
मैं तुम्हें रोज़ रोज़ समझाऊँगा
मैं तुम्हें रोज़ रोज़ समझाऊँगा ओशो का यह यूटूब पर ऑडीओ सुनने लायक़ है। जब तक आप स्वयं के प्रयत्न और अनुभव से आत्मज्ञान को प्राप्त नहीं हो जाते तब तक आप आध्यात्मिक ज्ञान की किताबों वेदों, उपनिषदों, बुद्ध, Jesus और वेदांत पर कोई टिप्पणी या टीका नहीं लिख सकते। लेकिन आजकल कोई भी व्यक्तिContinue reading “मैं तुम्हें रोज़ रोज़ समझाऊँगा”
आज का विचार
संतो की कठिनाई है कि जो पाया है वह इतना अनोखा है कि सबको इसे पाना ही चाहिए और वे सब कहीं और ही व्यस्त हैं। और मनुष्य का भ्रम दोनों के बीच भी मायाजाल को काटने उपाय हो जाता है।
हक़ीरो-नातुवां तिनका
इन पंक्तियों के माध्यम से सूफ़ी फ़क़ीर अहंकार की यात्रा पर जाने वाले व्यक्ति की भावना को प्रकट किया है।