मनुस्मृति के बजाय भीतर की आँख हमारे जीवन को दिशा दे

मनुस्मृति में प्रिय असत्य कहने और अप्रिय सत्य नहीं कहने को लेकर ओशो ने विरोध जताते हुए ध्यान को साधने की बात कही, सत्य और प्रेम उससे अपनेआप फलित होंगे क्योंकि वह मनुष्य का नैसर्गिक गुण है। ध्यान जो नैसर्गिक नहीं है उसे इस तरह गिरा देता है जैसे हीरे को देखने के बाद जो […]

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प्रेम का अंगारा भी जलता रहे और जलाये न

A seeker of the truth never falls in love, he actually raises in love. He knows the alchemy, the kimiya of going behind love of body, love of mind and stops not before his love transforms into compassion.

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बीज से सुगंध के रूप में अदृश्य हो जाने की प्रेम की यात्रा

मेरे अनुभव से ओशो के प्रवचन के हिस्से के माध्यम से ‘बीज से सुगंध तक प्रेम की यात्रा’ पर प्रकाश (अपनी बात कोष्ठक में लिखकर इस तरह) डाला गया है ताकि आपको बात गहरे बैठ जायँ और आप आज ही से जीवन में कुछ बदलाव लाकर उसका प्रभाव देख सकें । यह ज़रूरी नहीं कि […]

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