त्याग और भोग के दो पंखों में संतुलन ही संन्यास है।

Taking a part from Osho talks on Jin sutra I tried to convey his message with my experience that may be of help to someone in living life as human being to its full potential.

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शास्त्र पढ़ना, कहीं अंतर्यात्रा पर ना निकलने का बहाना तो नहीं

Instead of embarking upon journey to discover self, people keep reading t8me tables of the train. This human life needs to be spent in exploring this world, because this is the only way wisdom grows in a human being.

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कोलंबस जैसे को ही गुरु के बिना परमात्मा उपलब्ध होगा

Under the leadership of Kapil Dev India lifted World Cup for 5ge first time in history of cricket in 1983. It needs support of a mentor to discover self within too.

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जो कर्ता में अकर्ता, और अकर्ता में कर्ता को देखता है – २

कृष्ण के गीता में कहे वाक्य ‘जो कर्ता में अकर्ता और अकर्ता में कर्ता को देखता है, वही देखता है।’ को मेरे पिछले पोस्ट में मैंने अंधे और लंगड़े की कहानी से समझाने का प्रयत्न किया था और एक प्रयोग सुझाया था। कृपया पहले उसे ज़रूर पढ़ लेवें। उसी को यहाँ विस्तार से दूसरे उदाहरणों […]

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कर्ता में अकर्ता को और अकर्ता में कर्ता को जो देखता है। वही देखता है।

जो कर्ता में अकर्ता, और अकर्ता में कर्ता को देखता है। वही देखता है। गीता के एक श्लोक पर आधारित है यह. बचपन में अंधे और लंगड़े की पढ़ी कहानी को इसके माध्यम से आध्यात्मिक यात्रा के लिए उपयोगी बताने का प्रयास किया है ।

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