मनुस्मृति के बजाय भीतर की आँख हमारे जीवन को दिशा दे

मनुस्मृति में प्रिय असत्य कहने और अप्रिय सत्य नहीं कहने को लेकर ओशो ने विरोध जताते हुए ध्यान को साधने की बात कही, सत्य और प्रेम उससे अपनेआप फलित होंगे क्योंकि वह मनुष्य का नैसर्गिक गुण है। ध्यान जो नैसर्गिक नहीं है उसे इस तरह गिरा देता है जैसे हीरे को देखने के बाद जो […]

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मनु संस्कृति से स्त्रियों को अंबेडकर, ओशो ने कैसे मुक्ति दी

संविधान बनने से पहले स्त्रियों को १३ वर्ष में बालिग़ माना जाता था। मनुस्मृति के अनुसार बचपन में पिता के अंडर, जवानी में पति की दासी और बुढ़ापे मे बेटे की कृपा पर निर्भर रहती थी। बाबा साहब डॉ अंबेडकर ने संविधान मे इनको बराबरी का दर्जा दिया। संपत्ति का अधिकार, नौकरी में बराबरी का अधिकार, ये सब बाबा साहब की देन है
ये सन्देश उन महिलाओं के लिए, जो कहती है कि बाबा साहेब ने कुछ नहीं किया।

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