मुस्लिम धर्म को चीन, जापान के लोग ऐसे समझें

मैंने लाओ त्जु के ताओ को कुछ कुछ समझा है। उसके शिष्य लू त्जु की किताब ‘द सीक्रेट ऑफ़ गोल्डन फ़्लॉवर’ पर ओशो के प्रवचन की किताब भी अभी पढ़ ही रहा हूँ। किसी भी धर्म को जड़मूल से समझने के ओशो के बताये तरीक़े को मैं सबसे ज़्यादा बेहतर समझता हूँ। उन्होंने कहा है […]

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असली ब्राह्मण कौन? ध्यान और दिमाग़ पर प्रभाव

बिग थिंक यू-ट्यूब चैनल पर एक महत्वपूर्ण वीडियो ध्यान और उसके मस्तिष्क पर प्रभाव से संबंधित वैज्ञानिक खोज पर इस लिंक से उपलब्ध है। यह अंग्रेज़ी में है और आप इस वीडियो की सेटिंग में जाकर हिन्दी में नीचे सबटाइटल को इसको English>Hindi पर सेट करके जो वह कह रहा है उसको हिन्दी में पढ़ […]

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Gambhir bimar mansikta

  इस गंभीर बीमार मानसिकता को समझना ही उससे छुटकारा पाना है। इसे समझने के लिए जीवन में होंश का प्रयोग करके देखना होगा। मेरे अनुभव :- सुबह ब्रश करते समय अवेयरनेस या कार्य करते समय होंश का प्रयोग करना शुरू किया। समय के साथ, 20 वर्षों के भीतर, मैं अन्य कृत्यों के दौरान होंश या जागरूकता को लागू करने में सक्षम हो गया, जबकि मुझे बाद में एहसास हुआ कि कई कृत्यों में यह पहले ही स्वतः होने लगा था। संपूर्णता के साथ जीना, जीवन को एक प्रामाणिक रूप में जीना यानी भीतर बाहर एक और ईमानदारी से जीना, लोगोंकी बिना भेदभाव के निःस्वार्थ भाव से सेवा करना और सभी बंधनों (धार्मिक, शैक्षिक, जाति, रंग आदि) से मुक्त होनातीन महत्वपूर्ण उत्प्रेरक हैं जो किसी को गहराई तक गोता लगाने में मदद करते हैं। होंश का प्रयोग मेरे लिए काम करने का तरीका है, (instagram पर होंश) हो सकता है कि आपको भी यह उपयुक्तलगे अन्यथा अधिकांश लोगों के लिए गतिशील ध्यान है। लगभग 500 साल पहले भारतीय रहस्यवादी गोरखनाथद्वारा खोजी गई और ओशो द्वारा आगे संशोधित की गई 110 अन्य ध्यान तकनीकें हैं जिनका प्रयोग किया जा सकताहै और नियमित जीवन में उपयुक्त अभ्यास किया जा सकता है। […]

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ईश्वर हर मनुष्य को सहज ही उपलब्ध है

फ्री में पढ़ने के लिए इस लिंक पर जायें और ऐप डाउनलोड करके पढ़ें। अजहूँ चेत गँवार, संत पलटुदास पर ओशो के प्रवचन, #१ https://amzn.in/eVL6VY3  समय के साथ, 20 वर्षों के भीतर, मैं अन्य कृत्यों के दौरान होंश या जागरूकता को लागू करने में सक्षम हो गया, जबकि मुझे बाद में एहसास हुआ कि कई कृत्यों में यह पहले ही स्वतः होने लगा था। संपूर्णता के साथ जीना, जीवन को एक प्रामाणिक रूप में जीना यानी भीतर बाहर एक और ईमानदारी से जीना, लोगोंकी बिना भेदभाव के निःस्वार्थ भाव से सेवा करना […]

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तर्कवादी लोग संगठित धर्म और स्वधर्म के बीच त्रिशंकु ना होकर, आगे बढ़ें

अंग्रेज़ी में स्वतंत्र पत्रकारिता में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाने माने द न्यूज़ मिनट से लेकर गूगल ट्रांसलेट की मदद से हिन्दी में अनुवादित रिपोर्ट “इस्लामिक कानूनों और इस्लामोफोबिया के बीच फंसा: केरल में एक पूर्व-मुस्लिम होना” न्यूज़ रिपोर्ट लिंक पर उपलब्ध है।  इस खबर पर मेरे विचार और ऐसे पूर्व-मुस्लिम या पूर्व-ईसाई या पूर्व-हिंदू […]

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अहंकार का वीआर हेडसेट लगाकर देखने के कारण ही जीवन में भ्रांति है, अन्यथा यह महज़ एक खेल है

सबसे पहले तो मैं यह बताना चाहता हूँ कि बुद्ध ने कहा हैं “बुद्धमशरणम गच्छामी, संघम शरणम गच्छामी, धम्मम शरणम गच्छामी,“ इसका मतलब यह है कि किसी व्यक्ति को यदि ख़ुद कि सच्चाई या आत्मज्ञान को प्राप्त होना है तो पहली प्राथमिकता यह है कि वह किसी आत्मज्ञानी व्यक्ति के पास जाकर रहने लगे। दूसरी […]

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मनुष्य संसार में रहते हुए ही प्रकाश को इस तरह प्राप्त करे

ओशो से इनके संन्यासी का प्रश्न : मैं स्वयं के लिए प्रकाश कैसे बन सकता हूँ? ओशो : ‘अप्प दीपो भव’ ये गौतम बुद्ध के अंतिम शब्द थे, उनके शिष्यों के लिए उनका बिदाई संदेश: “स्वयं प्रकाशवान हो जाओ”. लेकिन जब वे कह रहे हैं, “स्वयं प्रकाशवान हो जाओ” उसका मतलब यह नहीं है कि “अपने लिए एक प्रकाश बनो”. होने और बनने में बहुत फर्क है। बनना एक प्रक्रिया है; ( जैसे डॉक्टर बनना, इंजीनियर बनना) होना एक खोज है। बीज ही वृक्ष में परिवर्तित होता है; वह एक रूप है। बीज में पहले से ही वृक्ष था, वह उसका अस्तित्व या श्रेष्ठतम रूप था। बीज फूल नहीं बनता। बीज में फूल पहले से थे अप्रकट, अब प्रकट हैं। बनने का सवाल ही नहीं है। वरना एक कंकड़ फूल बन सकता था। लेकिन ऐसा नहीं होता है। चट्टान गुलाब नहीं बन सकती; ऐसा नहीं होता है क्योंकि चट्टान में गुलाब होने की कोई क्षमता नहीं है। बीज केवल मिट्टी में मरकर स्वयं को खोज लेता है – अपने बाहरी आवरण को गिराकर, वह अपनी आंतरिक वास्तविकता में प्रकट हो जाता है। हर मनुष्य बीजरूप में प्रकाश है। आप पहले से ही बुद्ध हैं। ऐसा नहीं है कि तुम्हें बुद्ध बनना है, यह सीखने का सवाल नहीं है, हासिल करने का सवाल है, यह सिर्फ पहचानने का सवाल है- यहअपने भीतर जाकर देखने का सवाल है कि वहां क्या है। यह आत्म-खोज है।यह भीतर की आँख जिसको हम कभी कभी प्रयोग में लेते हैं -जब कोई […]

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मर जाने के भय को अमरता में रूपांतरित करना ही पुरुषार्थ है।

We live life in confusion and removing that confusion is purpose of this life which is gifted to us to live as a human being.

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हम जागरूक होकर काम करें तो महल अपना ही बनेगा।

इतनी कहानियों को बचपन में सुना है कि बताना मुश्किल है कि किस कहानी ने क्या छाप छोड़ी लेकिन यह तो सच है कि जीवन में उन सब कहानियों से कई सूत्र बचपन में ही हाथ लग गये। जो फिर पूरे जीवन भर मुझे मार्गदर्शन देते रहे। बचपन में एक कहानी किसी ने सुनाई थी।जिसमें […]

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कबीर के दोहे और उलटबाँसियाँ, क़रीब 500 चुने हुए

कबीर के दोहे पर लिखी पिछली पोस्ट से इसको लिंक किया गया है जिसमें कुल २३ इमेज़ों में ५०० से ज़्यादा दोहे जो हाथ से लिखकर पोस्ट किए हैं। वहाँ पोस्ट अंग्रेज़ी में है ताकि अंग्रेज़ी जानकार लोग उससे कुछ सीख सकें।  कबीर के दोहे पर यह पोस्ट हिन्दी के जानकारों को उन दोहों तक […]

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सच्चे प्रेम की पहचान क्या है?

जीवन में सबसे ज़्यादा बात प्रेम की होती है क्योंकि लोग बात करने को ही प्रेम होना मान लेते हैं और असल प्रेम से वंचित रह जाते हैं। ओशो के प्रेम पर दिए गए प्रवचनों के आधार पर मैंने सच्चे प्रेम के बारे में कुछ ज़रूरी प्रयोगों को ज़िंदगी में उतारकर और खुद के अनुभव को ही सही मानकर जो जाना उसको बताने का प्रयत्न किया है।

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सांख्य का अर्थ क्या है? बोध का मार्ग है सांख्य।

Osho says that while answering to Janak, Ashtavakra says that you are anagamin, chidghan-roop, swayam-prakash, swanirbhar, nirpeksha, kshobha-shunya hokar samadhi ka anushthan karta hai yahi teri murkhata hai.

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