मनुस्मृति के बजाय भीतर की आँख हमारे जीवन को दिशा दे

मनुस्मृति में प्रिय असत्य कहने और अप्रिय सत्य नहीं कहने को लेकर ओशो ने विरोध जताते हुए ध्यान को साधने की बात कही, सत्य और प्रेम उससे अपनेआप फलित होंगे क्योंकि वह मनुष्य का नैसर्गिक गुण है। ध्यान जो नैसर्गिक नहीं है उसे इस तरह गिरा देता है जैसे हीरे को देखने के बाद जो […]

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तर्कवादी लोग संगठित धर्म और स्वधर्म के बीच त्रिशंकु ना होकर, आगे बढ़ें

अंग्रेज़ी में स्वतंत्र पत्रकारिता में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाने माने द न्यूज़ मिनट से लेकर गूगल ट्रांसलेट की मदद से हिन्दी में अनुवादित रिपोर्ट “इस्लामिक कानूनों और इस्लामोफोबिया के बीच फंसा: केरल में एक पूर्व-मुस्लिम होना” न्यूज़ रिपोर्ट लिंक पर उपलब्ध है।  इस खबर पर मेरे विचार और ऐसे पूर्व-मुस्लिम या पूर्व-ईसाई या पूर्व-हिंदू […]

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अहंकार का वीआर हेडसेट लगाकर देखने के कारण ही जीवन में भ्रांति है, अन्यथा यह महज़ एक खेल है

सबसे पहले तो मैं यह बताना चाहता हूँ कि बुद्ध ने कहा हैं “बुद्धमशरणम गच्छामी, संघम शरणम गच्छामी, धम्मम शरणम गच्छामी,“ इसका मतलब यह है कि किसी व्यक्ति को यदि ख़ुद कि सच्चाई या आत्मज्ञान को प्राप्त होना है तो पहली प्राथमिकता यह है कि वह किसी आत्मज्ञानी व्यक्ति के पास जाकर रहने लगे। दूसरी […]

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मनुष्य संसार में रहते हुए ही प्रकाश को इस तरह प्राप्त करे

ओशो से इनके संन्यासी का प्रश्न : मैं स्वयं के लिए प्रकाश कैसे बन सकता हूँ? ओशो : ‘अप्प दीपो भव’ ये गौतम बुद्ध के अंतिम शब्द थे, उनके शिष्यों के लिए उनका बिदाई संदेश: “स्वयं प्रकाशवान हो जाओ”. लेकिन जब वे कह रहे हैं, “स्वयं प्रकाशवान हो जाओ” उसका मतलब यह नहीं है कि “अपने लिए एक प्रकाश बनो”. होने और बनने में बहुत फर्क है। बनना एक प्रक्रिया है; ( जैसे डॉक्टर बनना, इंजीनियर बनना) होना एक खोज है। बीज ही वृक्ष में परिवर्तित होता है; वह एक रूप है। बीज में पहले से ही वृक्ष था, वह उसका अस्तित्व या श्रेष्ठतम रूप था। बीज फूल नहीं बनता। बीज में फूल पहले से थे अप्रकट, अब प्रकट हैं। बनने का सवाल ही नहीं है। वरना एक कंकड़ फूल बन सकता था। लेकिन ऐसा नहीं होता है। चट्टान गुलाब नहीं बन सकती; ऐसा नहीं होता है क्योंकि चट्टान में गुलाब होने की कोई क्षमता नहीं है। बीज केवल मिट्टी में मरकर स्वयं को खोज लेता है – अपने बाहरी आवरण को गिराकर, वह अपनी आंतरिक वास्तविकता में प्रकट हो जाता है। हर मनुष्य बीजरूप में प्रकाश है। आप पहले से ही बुद्ध हैं। ऐसा नहीं है कि तुम्हें बुद्ध बनना है, यह सीखने का सवाल नहीं है, हासिल करने का सवाल है, यह सिर्फ पहचानने का सवाल है- यहअपने भीतर जाकर देखने का सवाल है कि वहां क्या है। यह आत्म-खोज है।यह भीतर की आँख जिसको हम कभी कभी प्रयोग में लेते हैं -जब कोई […]

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होंश या सहज ध्यान/सुरती/सम्यक स्मृति/जागरुक रहना

This post is in Hindi about awareness meditation or Surati or Honsh ka prayog or sahaj dhyan or sammyak smriti as adviced by Buddha and Mahavir. Osho here describe in detail about how to imbibe it in our life so that naturally it starts flowing through us. हिंदी में यह पोस्ट मेरे जीवन की छोटी शुरुआत के आत्मज्ञान प्राप्ति की साधना में अपने आप बदल जाने के बारे में है।

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Gyan marg or Bhakti marg?

  There are two basic ways to reach Godliness within. There are two basic ways to reach Godliness within. Bhakti marg stresses bhajan/jap and all effort is to get it done automatically 24X7. It culminates into drowning in awareness ie ‘Darshan’ of Virat Swaroop of God.  Another way is through Gyan Marg(Meditation). In this awareness […]

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Aziz Naza ko meri taraf se shraddhanjali swaroop. Fikr se Jikr tak.

  हुए नामवर … बेनिशां कैसे कैसे … ये ज़मीं खा गयी … नौजवान कैसे कैसे … अज़ीज़ नाज़ा की मशहूर क़व्वाली चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जाएगा ओरिजिनल Mumtaz Aziz Naza के YouTube पर इस लिंक से देखने, सुनने को मिलेगी, और उनके बेटे Mujtaba Aziz Naza मुज़्तबा अज़ीज़ नाजा को भी […]

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