महावीर पर ओशो : पहले सम्यक् दर्शन, फिर ज्ञान अंत में आचरण

मेरी नज़र में आज ओशो के सारे संन्यासी महावीर के भी अनुयायी हैं। महावीर के जिन दर्शन को अंततः पूरे विश्व ने उचित सम्मान ओशो के माध्यम से मिला।

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दृष्टि की भूल, प्यास और होंश – ये तीन पर सतत नज़र हो, तो आप जो भी करें साधना या प्रार्थना ही कर रहे हैं।

ओशो ने बॉम्बे के अलंकार थियेटर में 08, 09 और 10 सितंबर 1964 को सुबह और शाम को कुल छः प्रवचन दिये जिनको ‘पथ की खोज’ नाम की किताब में पढ़ा जा सकता है। उसके 08 सितंबर सुबह 10 बजे दिये व्याख्यान से कुछ अंश मेरे अनुभव में डुबोकर देने का प्रयत्न किया है। ओशो, […]

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बोध-कथा – शंकराचार्य  का संन्यास क्या संदेश देता है? 

शंकराचार्य की भक्ति पर लिखी किताब भज गोविन्दम मुढ़मते पर संन्यासियों से चर्चा करते हुए ओशो के एक संन्यासी ने प्रश्न किया:-  (यूँ तो मैं 1981-83 से ओशो की किताबें पढ़ने लगा था और योगा, मैडिटेशन इत्यादि वग़ैरह करता था। 1999 में मेरे चचेरे बड़े भाई की मृत्यु ने मुझे कुछ इस प्रकार झकझोरा की […]

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सदा गोविन्द को भजो -शंकर

सांसारिक जीवन जीते हुए ओशो के प्रयोगों को जीवन में उतरकर जो मैंने आध्यात्मिक यात्रा की है उसके अनुभव में डुबोकर हे मूढ़, सदा होंश को साधो और गोविंद को भजो कहकर शंकर के माध्यम से संसार में रहकर आध्यात्मिक यात्रा पर चलना सिखाने का एक प्रयत्न है।

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धर्म और संप्रदाय में अंतर।

आज जब धर्म के नाम पर राजनीति की जा रही है, यह जानना ज़रूरी हो गया है। धर्म और संप्रदाय में अंतर को स्पष्ट करते हुए osho कहते हैं कि धर्म तो ज़िंदा व्यक्ति है और संप्रदाय उसकी लाश।

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बीज है श्रद्धा, भीतर की रोशनी या सत्य के अनुभव में

मेरी आध्यात्मिक यात्रा से मिलता जुलता यहाँ मिला तो लगा भीतर की रोशनी की यात्रा पर तो सभी है ही हो सकता है यह हमको कदम और उठाने में मदद करे।

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भीतर की आँख यानी होंश, जागरूकता, चैतन्य या चेतना

कस्तूरी कुंडल बसे किताब में ओशो कबीर के गीतों पर अपने शिष्यों से बात करते हुए कहते हैं:- घर घर दीपक बरै, लखै नहिं अंध है। प्रभु तो पास है।  पास कहना भी ठीक नहीं, क्योंकि पास से पास में भी थोड़ी दूरी बनी रहती है। इसलिए यही उचित है कहना कि प्रभु दूर नहीं […]

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सत्य की अभिव्यंजना विपरीतताओं में

नचिकेता ने यम से ईश्वर या परमात्मा के बारे में प्रश्न पूछकर मानो कुछ पल के लिये हम सबके लिए द्वार खोल दिया। जो भाग्यशाली होंगे वे इस अवसर का उपयोग कर लेंगे।

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अध्यात्म युक्त व्यक्ति समाज, राजनीति, साहित्य, विज्ञान, संगीत सब पर अपनी दृष्टि रखेगा।

“मेलाराम असरानी! मैं तुम्हारी तकलीफ समझता हूं। तुम्हारी तकलीफ बहुतों की तकलीफ है, इसलिए विचारणीय है, गंभीरतापूर्वक विचारणीय है।  पूछा है तुमने: ‘आप कभी अध्यात्म पर बोलते हैं, तो कभी समाज पर।’  निश्चित ही, क्योंकि मेरे लिए अध्यात्म इतना विराट है कि उसमें सब समा जाता है। वह अध्यात्म ही क्या जो एकांगी हो?  वह […]

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किसी भगवान के आने से रामराज्य नहीं आता

भगवान के बारे में सब जानना चाहते हैं लेकिन भगवान पहेली होता तो कोई अब तक सुलझा लेता, भगवान रहस्य है और उसे सिर्फ़ जिया जा सकता है, अनुभव किया जा सकता है। इसलिए भगवान के बारे में पूछे जाने पर भगवत्ता को हासिल करने को कहा जाएगा।

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ऋतस्य यथा प्रेत – ऋत के अनुसार जीओ

मेरे जीवन पर एक नज़र डालता हूँ तो पाता हूँ कि 1999 में बड़े भाई, नंदकिशोर चौधरी, की मृत्यु का आघात मुझे बहुत गहराई तक हिला गया। और मैंने जीवन का अर्थ और उसकी सार्थकता जानने के लिए अपने आपको झोंक दिया और हर वह सत्संग, मंदिर में पाठ, घर में तांत्रिक यज्ञ और ओशो […]

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(सत्य दर्शन की) साधो भाई जीवत ही करो आसा-कबीर

साधो भाई जीवत ही करो आसा -कबीर का प्यारा भजन है इसे अनुवाद सहित यहाँ प्रस्तुत किया है लाखन जाति जगत माँ फैली काल को फंद पसारियाँ,सालाखन जाति जगत माँ फैली काल को फंद पसारियाँ ,साधो भाई जीवत ही करो आसा,जीवत समझे जीवत बूझे जीवत मुकुति निवासा,जीवत करम की फाँस न काटी मुये मुक्ति की […]

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Rahul Gandhi & Mohabbat ki dukan

One of the lesson I learned by reading the Geeta is that a person must choose to support truth and love, we are on winning or loosing side in the war does not matters much. It’s message is that individual who took side of truth and love is sure going to win the internal war […]

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Creative use of WhatsApp channel for spiritual purpose.

In year 2005 one day I was feeling down during lunch hour in my office and I received a SMS on my Mobile from one of my friend. It seemed to me that those lines were specially written for me and my mood immediately changed. Those few words delivered timely to me, made a big […]

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